Our Environment

परिचय

(Introduction)

पृथ्वी पर जीवन (life) होने के कारण यह सौर मण्डल का एक विशिष्ट ग्रह है। पृथ्वी पर उपस्थित जीवन के दो महत्वपूर्ण कारक जल तथा ताप हैं। जल जीवन का प्रमुख घटक है तथा यह पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपस्थित है। पृथ्वी की सूर्य से उचित दूरी होने के कारण इसका ताप बुध तथा शुक्र की भाँति अत्यधिक उच्च (high) या बृहस्पति तथा शनि आदि की भाँति अत्यधिक निम्न (low) नहीं है। पृथ्वी एक जटिल निकाय है एवं अध्ययन की सुविधा के लिये इसे निम्न घटकों में विभाजित कर सकते हैं

पृथ्वी

अजैविक घटक

(Non-living components)

जैविक घटक

(Living components)

वायुमण्डल

(वायु)

जलमण्डल

(जल)

स्थल मण्डल (भूमि)

जन्तु (Animals)

(Plants)

विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत वातावरण में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है, उसे पर्यावरणीय रसायन (environmental chemistry) कहते हैं। हमारे चारों ओर का परिवेश (surrounding) जैसे— जल, वायुमण्डल, भूमि, पेड-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, सूर्य का प्रकाश तथा विभिन्न वाहन आदि सम्मिलित हैं। जीव अपने चारों ओर के पर्यावरण को प्रभावित करता है तथा पर्यावरण जीवों को प्रभावित करता है।

पर्यावरण रसायन में केवल रसायन विज्ञान ही नहीं, अपितु विज्ञान की अन्य शाखाएँ जैसे- भौतिकी (physics), जीव-विज्ञान (biology) आदि भी सम्मिलित हैं, जिस कारण शब्द पर्यावरण विज्ञान अधिक उपयुक्त है।




वायुमण्डल (Atmosphere)

यह पृथ्वी की सतह से हजारों किलोमीटर (लगभग 1600 किमी) ऊपर चारों ओर फैला हुआ भाग है। इसमें विभिन्न गैसें (जैसे- ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि) सन्तुलित मात्रा तथा अनुपात में उपस्थित रहती हैं।

(A) वायुमण्डल का संगठन (Composition of atmosphere)— पृथ्वी पर वायुमण्डल की उपस्थिति का कारण गुरूत्वाकर्षण बल (gravitational force) है। पृथ्वी के वायुमण्डल का कुल द्रव्यमान लगभग 5x1015 टन हैं तथा इसका 99% भाग पृथ्वी की सतह से 30 किमी तक सीमित है। वायुमण्डल के संगठन में अवयवों को मुख्य तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।

(i) अधिक (Major) मात्रा में - N2, O2, जल वाष्प

(ii) अल्प (Minor) मात्रा में Ar, CO2

(iii) सूक्ष्म (Trace) मात्रा में - नोबल गैसें (He, Ne, Kr);

हाइड्रोकार्बन्स C, N, तथा 5 के कुछ ऑक्साइड

(CO, N2O, NO, NO2, SO2) और O, आदि।


(B) वायुमण्डल की संरचना (Structure of Atmosphere)—– ऊँचाई, ताप एवं विशिष्ट गुणों के आधार पर वायुमण्डल को निम्न चार भागों में विभाजित किया जा सकता है।



(a) लोभ मण्डल (Troposphere) () यह वायुमण्डल का सबसे नीचे का क्षेत्र है। यह क्षेत्र पृथ्वी को ध्रुवों (poles) के पास लगभग ।। किसी तथा इक्वेटर (equator) के पास लगभग 18 किमी तक फैला रहता है सभी जीवों के लिये महत्वपूर्ण क्षेत्र है। (ii) यह वायुमण्डल को पतली (thin) तथा सघन (dense) परत होती है। इसी क्षेत्र में ऋतु परिवर्तन (वर्षा

आदि) होता है।

(1) इस क्षेत्र में वायुमण्डल का लगभग 80% द्रव्यमान होता है तथा यह जल वाष्प का निर्मित करता है। 10 किमी ऊपर बर्फ के क्रिस्टल (lice crystal) के रूप में उपस्थित रहता है। वायुमण्डल की नमी का लगभग 900 भाग 5 किमी की ऊंचाई से नीचे ही होता है।

(iv) इस क्षेत्र का ताप ऊँचाई के साथ-साथ (लगभग 6.45 किमी) घटता है और लगभग 11 किमी ऊँचाई पर न्यूनतम होता है। इस बिन्दु को क्षोभ सीमा (tropopause) कहते हैं। क्षोभ सीमा तापक्रम का प्रतिलोमीकरण (inversion) बिन्दु है।

(v) इस क्षेत्र में रासायनिक परिवर्तन कम होता है, क्योंकि यहाँ सभी ऊष्मीय विकिरण छनित (filter) होकर आती हैं। इस क्षेत्र में दो मुख्य रासायनिक अभिक्रियाएँ, प्रकाश संश्लेषण ( photosynthesis) तथा नाइट्रोजन यौगिकीकरण (nitrogen-fixation) होती हैं। प्रकाश संश्लेषण में,

600+12H 0-CHO,+60, +6H₂O

नाइट्रोजन यौगिकीकरण में,

N. E →→→NHNO-NO

इस क्षेत्र में कुछ अन्य अभिक्रियाएँ जैसे जल अपघटन (hydrolysis) तथा ऑक्सीकरण (oxidation) आदि भी होती हैं।

(vi) यह क्षेत्र प्रदूषकों द्वारा सर्वाधिक प्रभावित होता है।

(b) समताप मण्डल (Stratosphere) (i) यह वायुमण्डल में क्षोभ मण्डल से ऊपर तथा सिजोस्फीयर (mesosphere) से नीचे का क्षेत्र है। यह पृथ्वी की सतह से लगभग 50 किमी ऊपर तक फैला हुआ होता है।

(i) समताप मण्डल में ही ओजोन परत (ozone layer) उपस्थित होती है, जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों (ultraviolet radiations) को अवशोषित कर लेती है। पराबैंगनी किरणों के अवशोषण में निम्न अभिक्रिया होती है.

02 UV 20

[02 +0* + M+M

UV





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