मिशन मंगल कैसे सफल हुआ
अंतरिक्ष मे प्रथम भारतीय- 3 अप्रैल, 1984 को स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम भारतीय बने । वे दो अन्य सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सोयुज टी-2 अंतरिक्ष यान में कजाखस्तान में बैंकावूर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष में गए। स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा 11 अप्रैल, 1984 को सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लौट आए।
1. तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा अंतरिक्ष यात्रियों के गाँधी ने सोवियत अंतरिक्ष केंद्र पर अलग-अलग नाम स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा से बातचीत देश की। उन्होंने पूछा : अंतरिक्ष से भारत U.S.A ऐस्ट्रोनाट्स कैसा दिखता है? शर्मा का उत्तर था रूस कॉस्मोनाइट्स 'सारे जहां से अच्छा।' चीन टायकोनाइट्स
अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला भारत 14वाँ राष्ट्र बना और स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले 139वें अंतरिक्ष यात्री
> अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की प्रथम महिला कल्पना चावला थी। इनकी मृत्यु 1 फरवरी, 2003 को अंतरिक्ष यान कोलम्बिया के मिशन एसटीएस-107 के वातावरण में पुनःप्रवेश के कुछ देर पश्चात् नष्ट हो जाने से हो गयी।
चंद्रयान-1
~ चन्द्रमा के लिए भारत का पहला मिशन “चन्द्रयान-I" है । यह विश्व का 68वाँ चन्द्र अभियान है।
भारत ने अपने पहले चन्द्रयान का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 अक्टूबर, 2008 को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (PSLV-C11) के जरिए किया।
प्रथम चन्द्रमा अभियान सोवियत संघ ने 2 जनवरी, 1959 को भेजा था एवं द्वितीय चन्द्रमा अभियान 3 मार्च, 1959 को अमरीका ने भेजा । अमरीका, यूरोपीय संघ, रूस, जापान व चीन के बाद भारत छठा ऐसा देश है जो चन्द्रमा के लिए यान भेजने में सफल हुआ।
11 पेलोड युक्त चन्द्रयान-I से सिगनल प्राप्त करने के लिए 32 मीटर व्यास के एक विशाल एंटीना की स्थापना कर्नाटक में बंगलुरु से 40 किमी दूर ब्यालालू में की गई है। यह प्रथम अवसर था जब एक साथ 11 उपकरण विभिन्न अध्ययनों के लिए किसी यान के साथ भेजे गये हैं।
भारत का पहला चन्द्र अभियान चन्द्रयान- अपने साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी लेकर गया है जिसे मून इम्पेक्टर प्रोब चन्द्रमा की सतह पर स्थापित करेगा।
चंद्रयान-2
22 जुलाई, 2019 को भारतीय भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण यान, जीएसएलवी एमके III (GSLV-MK III) द्वारा चन्द्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का इस्तेमाल किया गया। लैंडर विक्रम का सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिग नहीं होने के कारण यह अभियान पूर्ण सफल नहीं हो सका।
भारत का मंगल मिशन-
भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा पूर्ण रूप से मंगल मिशन जिसे मंगलयान नाम दिया गया है, 24 सितम्बर, 2014 को सुबह 8 बजे मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया। इसके साथ ही अपने पहले प्रयास में ही मंगल पर पहुँचने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है।
इसरो द्वारा मंगलयान नामक अपनी अंतरिक्ष परियोजना के अंतर्गत 5 नवम्बर, 2013 को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु एक उपग्रह आन्ध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था। अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के बाद भारत मंगल की कक्षा में प्रवेश करने वाला पहला देश बन गया। भारत एशिया का पहला देश है जो मंगल की कक्षा में दाखिल हुआ । नासा, ईएसए, और रॉस कोसमॉस के बाद इसरो मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने वाली चौथी स्पेश एजेंसी है ।
मंगल मिशन की कुल लागत 450 करोड़ रुपए हैं। मंगलयान मंगल ग्रह से निकटतम स्थिति में आने पर मात्र 365 किमी. दूर रहेगा, जबकि सबसे दूर होने पर 8000 किमी दूर रहेगा ।
> मंगलयान में लगे उपकरणों का उपयोग भविष्य में मौसम, जमीन, खेती और संचार उपग्रहों में किया जा सकेगा ।




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