आनुवंसिकता(HEREDITY)

 किसी जाति के जीव की उत्पत्ति उसी जाति के जीव द्वारा ही सम्भव है। जैसे-

मनुष्य का बच्चा मनुष्य द्वारा ही पैदा होता है, शेर का बच्चा शेर से ही पैदा

 होता है मटर के बीज से पौधे ही उगते हैं और गुलाब से केवल गुलाब ही पैदा

 होता है। माता-पिता के अनेक लक्षण सन्तान में होने के बावजूद भी सन्तान

 माता-पिता से काफी भिन्न होती हैं अर्थात् अनेक समानताओं के साथ-साथ

 असमानताएँ भी सन्तान को अपना व्यक्तित्व निर्धारित करने में सहायता करती

 हैं। पौधों पर भी यही नियम लागू होता है। इस प्रकार माता-पिता (जनकों) से

 सन्तानों (सन्तति) में पहुँचने वाले लक्षणों को आनुवंशिक लक्षण

 (Hereditary characters) तथा इन लक्षणों एवं उनके प्रभावों के

 आधार पर नयी पीढ़ी में उत्पन्न समानताओं और असमानताओं को

 आनुवंशिकता (Heredity) कहते हैं। विज्ञान की वह शाखा जिसके अर्न्तगत

 हम आनुवंशिकता का अध्ययन करते हैं उसे आनुवंशिक विज्ञान या

 आनुवंशिकी (Genetics) कहते हैं। मेण्डल, टी०एच० मोर्गन, बेटस

न एवं पुनेट आदि विभिन्न वैज्ञानिकों का आनुवंशिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय

 योगदान है। डब्ल्यू बेटसन (W. Betson) ने सन् 1905 में सर्वप्रथम आनुवंशिकी शब्द का प्रयोग किया।



लक्षणों की वंशागति के नियम : मेन्डेल का योगदान (Rules for the Inheritance of Traits: Mendel Contribution)


ग्रेगॉर जोहन मेण्डल (Gregor Johann Mendel) का जन्म 22 जुलाई, 1822 ई० में ऑस्ट्रिया (Austria) ब्रुन (Brunn) शहर के छोटे-से गाँव सिलीसियन (Silisian) में एक साधारण माली परिवार में हुआ था।


लगभग 7-8 वर्षों तक मटर के पौधों के साथ प्रयोगात्मक कार्य, गिरजाघर के बगीचे में किया। ग्रेगॉर जोहन मेण्डल (1822-1884)


मेण्डलल 1847 ई॰ में एक गिरजाघर में पादरी नियुक्त हुए। उन्होंने 1857 ई० में मटर (Pisum sativum) के बीजों को एकत्रित करके उनकी भिन्नताओं का अध्ययन किया। उन्होंने उन्होंने अपने प्रयोगों की उपलब्धियों तथा निष्कर्षों को 1865 ई. में ब्रुन की नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Natural History Society) की सभा में रखा। 1866 ई. में इन सिद्धान्तों तथा निष्कर्षों को पादप संकरण के प्रयोग (Experiments of Plant Hybridisation) के नाम से सोसाइटी की पत्रिका में प्रकाशित किया गया। दुर्भाग्यवश उन्हें अपने जीवनकाल में किए गए इस अति विशिष्ट कार्य का सम्मान और यश नहीं मिल सका। ग्रेगॉर जोहन मेण्डल को आनुवंशिकी या आधुनिक आनुवंशिकी का जनक (Father of Genetics or Modern Genetics) कहते हैं।



तीन देशों के तीन अलग-अलग वैज्ञानिकों, (हॉलैण्ड के ह्यूगो डी ब्रीज (Hugo de Vries), जर्मनी के कार्ल कॉरेन्स (Carl Correns) तथा ऑस्ट्रिया के एरिक वॉन शैरमैक (Eric von Tschermak)) ने साथ-साथ, किन्तु स्वतंत्र रूप से अपने प्रयोगों के आधार पर मेण्डल जैसे निष्कर्ष निकाले ।


मेण्डल के सैद्धान्तिक बिन्दुओं को इन्हीं तीनों वैज्ञानिकों ने नियमों के रूप में प्रतिपादित किया। इन नियमों को ही मेण्डल के आनुवंशिकता के नियम (Mendel's law of heredity) या मेण्डलवाद (Mendelism) के नाम से जाना जाता है।

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